भारत में गर्मी की तपिश जब बढ़ जाती है, तब हर किसान, हर मजदूर, और हर आम आदमी के मन में एक ही सवाल उठता है — मानसून कब आएगा? खासकर हमारे देश के किसान भाइयों के लिए तो यह सवाल सबसे अहम होता है क्योंकि उनकी फसल, उनकी मेहनत और उनकी आमदनी सब कुछ बारिश पर निर्भर करती है।
मानसून कब आएगा? 2025 में मानसून की क्या स्थिति रहेगी, कब शुरुआत होगी, कहां पहले पहुंचेगा और कितने दिनों तक रहेगा — आइए विस्तार से जानते हैं।
🗓️ 2025 में मानसून की संभावित शुरुआत
भारतीय मौसम विभाग (IMD) की भविष्यवाणी के अनुसार, 2025 में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत 27 मई को केरल से हो सकती है। यह सामान्य समय से लगभग 4-5 दिन पहले है। आमतौर पर मानसून 1 जून को केरल में प्रवेश करता है।
🗺️ मानसून की राज्यवार जानकारी – कहां कब पहुंचेगा?
मानसून भारत में धीरे-धीरे दक्षिण से उत्तर और फिर पूर्व-पश्चिम दिशा में फैलता है। नीचे दी गई संभावित तारीखें राज्यवार बताई जा रही हैं:
राज्य / क्षेत्र | संभावित तारीख |
---|---|
केरल | 27 मई 2025 |
कर्नाटक, तमिलनाडु | 30 मई – 2 जून |
महाराष्ट्र, गोवा | 5 जून 2025 |
गुजरात | 10 जून 2025 |
मध्य प्रदेश | 12 जून 2025 |
छत्तीसगढ़, झारखंड | 15 जून 2025 |
बिहार, पश्चिम बंगाल | 18-20 जून 2025 |
उत्तर प्रदेश | 22 जून 2025 |
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब | 25 जून से 2 जुलाई के बीच |
राजस्थान | 1-5 जुलाई 2025 |
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल | 5-10 जुलाई 2025 |
⚠️ यह केवल अनुमान है, मौसम की स्थिति के अनुसार बदलाव संभव है।

मानसून कितना समय तक रहेगा?
भारत में मानसून सामान्यतः जून से सितंबर तक सक्रिय रहता है। 2025 में भी मानसून की सक्रियता:
- जून से सितंबर तक चार महीने की रहने की उम्मीद है।
- कुछ क्षेत्रों में अक्टूबर के पहले हफ्ते तक बारिश जारी रह सकती है, खासकर दक्षिण भारत में।
किसानों के लिए मानसून का क्या महत्व है?
भारत की लगभग 60% खेती बारिश पर निर्भर करती है। ऐसे में “मानसून कब आएगा” ये सवाल सीधे किसान के रोज़गार से जुड़ा हुआ है। समय से बारिश हो तो:
- बुवाई समय पर हो जाती है
- पानी की बचत होती है क्योंकि सिंचाई की ज़रूरत कम होती है
- फसल अच्छी होती है और लागत कम आती है
- कीटनाशक और खाद का सही उपयोग संभव होता है
खरीफ फसलों जैसे धान, मक्का, कपास, अरहर आदि के लिए मानसून जीवनदायिनी बारिश है।
अगर मानसून देर से आए तो क्या होगा?
- बुवाई में देरी होगी
- फसल उत्पादन घट सकता है
- लागत बढ़ सकती है
- सिंचाई पर निर्भरता और खर्च दोनों बढ़ जाएंगे
- किसान का आर्थिक नुकसान भी हो सकता है
इसलिए सभी किसान समय से तैयारी करें और मौसम विभाग की अपडेट्स पर लगातार नजर
किसान भाइयों के लिए सलाह
- खेत की तैयारी मानसून की शुरुआत से पहले कर लें
- बीज और खाद की व्यवस्था समय पर करें
- कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से मार्गदर्शन लें
- फसल बीमा योजना का लाभ उठाएं
- मौसम से संबंधित मोबाइल ऐप्स जैसे Meghdoot, IMD Weather, Skymet को जरूर डाउनलोड करें
विशेषज्ञों की राय
भारत मौसम विभाग और स्काइमेट जैसे निजी मौसम एजेंसियों का कहना है कि 2025 का मानसून “सामान्य से थोड़ा बेहतर” हो सकता है। LPA (Long Period Average) के अनुसार लगभग 105% बारिश होने की संभावना है, जिससे खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
मानसून से पहले और दौरान किसानों को क्या तैयारी करनी चाहिए?
मानसून कब आएगा, यह जानना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है इसकी समय से तैयारी करना और सतर्क रहना। जैसे ही मौसम विभाग मानसून की संभावित तारीखों की घोषणा करता है, वैसे ही किसानों को अपने-अपने खेतों में हल चलाना, खेत समतल करना और बीज, खाद, कीटनाशक आदि की खरीद शुरू कर देनी चाहिए।

इसके अलावा, अगर खेत में पानी ठहरने की संभावना हो तो जल निकासी की व्यवस्था पहले से करें। सिंचाई की वैकल्पिक योजना भी बनाएं ताकि अगर बारिश देर से हो तो नुकसान न हो।
मानसून के समय अक्सर कीट और रोग फैलते हैं, इसलिए फसल सुरक्षा दवाइयों का भंडारण पहले से रखें। इस साल चूंकि मानसून थोड़ा पहले आने की उम्मीद है, तो खेती का समय भी थोड़ा पहले खिसक सकता है। इसके लिए किसान भाइयों को कृषि विभाग, ग्राम सेवक या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से समय-समय पर सलाह लेते रहना चाहिए। मोबाइल ऐप और रेडियो समाचार भी मानसून और फसल से जुड़ी जानकारी देने में बहुत मददगार हैं। जागरूक किसान ही अच्छे मौसम का फायदा उठा सकता है।
मानसून की जानकारी कहां से लें?
- भारतीय मौसम विभाग (IMD) – https://mausam.imd.gov.in
- Skymet Weather – https://www.skymetweather.com
- Krishi Vigyan Kendra (KVK) – हर जिले में स्थित
मानसून कब आएगा, इसका सही उत्तर है – 2025 में 27 मई को केरल में प्रवेश की संभावना है और जुलाई तक यह पूरे देश में फैल जाएगा। ऐसे में किसान भाइयों को चाहिए कि वे अभी से तैयारी शुरू करें।
यह समय है सही निर्णय और योजना का। अगर किसान जागरूक रहेगा, तो मानसून का पूरा लाभ मिलेगा और खेती में बढ़िया उत्पादन होगा।