सोमवार, 16 जून 2025

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स: भारत की एनर्जी सिक्योरिटी का भविष्य

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स: भारत का परमाणु ऊर्जा लक्ष्य 2047

जानिए स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स क्या हैं, कैसे ये भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेंगे, और 2047 तक भारत की ऊर्जा सुरक्षा में इनका महत्व। भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता, फायदे और सरकार की योजनाएं।

भारत का 2047 तक विकसित देश बनने का सपना है, और इसके लिए देश को हर क्षेत्र में अत्यधिक विकास करना होगा। विकास के लिए ऊर्जा की भारी मात्रा की आवश्यकता होगी। परंपरागत फॉसिल फ्यूल्स जैसे कोयला, पेट्रोलियम, और प्राकृतिक गैस सीमित संसाधन हैं और धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं। यही कारण है कि भारत के पास अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए दो ही मुख्य विकल्प बचते हैं — रिन्यूएबल एनर्जी (सौर, पवन, जलविद्युत) और न्यूक्लियर एनर्जी।

सरकार इन दोनों ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दे रही है, लेकिन न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में हाल ही में खास ध्यान दिया जा रहा है — विशेषकर स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) पर।

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स क्या हैं?

जैसा कि नाम से स्पष्ट है, स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स छोटे आकार के परमाणु ऊर्जा संयंत्र होते हैं, जिनकी क्षमता 10 मेगावाट से लेकर 300 मेगावाट तक होती है। ये पारंपरिक बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की तुलना में छोटे, कॉम्पैक्ट और अधिक लचीले होते हैं।

  • स्मॉल (छोटे): छोटे आकार के कारण इन्हें स्थापित करना और संचालित करना आसान होता है।
  • मॉड्यूलर (मॉड्यूल के रूप में): ये फैक्ट्री में तैयार होते हैं और फिर साइट पर ले जाकर आसानी से स्थापित किए जा सकते हैं।
  • रिएक्टर: परमाणु विखंडन (फिजन) के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।

इन रिएक्टरों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन्हें बड़े संयंत्रों की तुलना में कम समय और कम लागत में बनाया और ऑपरेट किया जा सकता है।

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स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स के प्रमुख फायदे

1. लागत में कमी

पारंपरिक परमाणु संयंत्रों की तुलना में SMRs की निर्माण और संचालन लागत काफी कम होती है। फैक्ट्री में मॉड्यूलर असेंबली होने की वजह से निर्माण प्रक्रिया तेज़ और किफायती होती है।

2. सुरक्षित और विश्वसनीय

यूरोपीय कमीशन के अनुसार, SMRs का डिज़ाइन इस तरह से किया गया है कि ये अत्यधिक सुरक्षित होते हैं। इनके डिजाइन में ऐसे सेफ्टी वॉल्व्स लगे होते हैं जो बिजली न होने पर भी रिएक्टर को ठंडा रखते हैं और बड़े हादसों की संभावना बहुत कम होती है।

3. पर्यावरण के लिए हितकारी

SMRs ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करते हैं और प्राकृतिक संसाधनों पर कम दबाव डालते हैं। यह पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए स्थायी ऊर्जा उत्पादन का विकल्प प्रदान करते हैं।

4. ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति

रिन्यूएबल ऊर्जा स्रोत जैसे सोलर और विंड पर निर्भरता मौसम पर निर्भर होती है, जबकि SMRs निरंतर और स्थिर बिजली उत्पादन करते हैं, जिससे ग्रिड स्थिरता बनी रहती है।

5. दूर-दराज के इलाकों में उपयोगी

इन रिएक्टरों का छोटा आकार उन्हें दूर-दराज के क्षेत्रों, जैसे पहाड़ी इलाकों या दूरस्थ गाँवों में स्थापित करना आसान बनाता है, जहाँ बिजली पहुंचाना कठिन होता है।

6. उद्योगों के लिए कैप्टिव पावर

बड़े उद्योगों को स्थिर और सुरक्षित ऊर्जा की आवश्यकता होती है। SMRs इन्हें उनकी जरूरत के मुताबिक कैप्टिव पावर यूनिट के रूप में सप्लाई कर सकते हैं।

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स: भारत का परमाणु ऊर्जा लक्ष्य 2047

भारत में स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स की स्थिति और महत्व

भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता

वर्तमान में भारत न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। देश की कुल बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान लगभग 2-3% है।

भारत ने 2047 तक 1 लाख मेगावाट (100 GW) परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। यदि यह लक्ष्य पूरा होता है, तो भारत न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी कर पाएगा, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी भारी कटौती कर सकेगा।

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सरकार की पहल

हाल ही में बजट में स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों के लिए ₹20,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है। न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) और प्राइवेट सेक्टर मिलकर इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया विदेश दौरों में भी फ्रांस और अमेरिका के नेताओं के साथ न्यूक्लियर एनर्जी पर चर्चा हुई, जिससे भारत के लिए तकनीकी सहयोग के नए द्वार खुले हैं।

भारत के लिए जरूरी क्यों?

  • नेट-जीरो कार्बन एमिशन 2070 तक: भारत ने 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।
  • ऊर्जा मांग में वृद्धि: 2050 तक भारत की ऊर्जा मांग 80% से 150% तक बढ़ने की संभावना है।
  • ऊर्जा सुरक्षा: विदेशी ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करना।
  • ग्रिड स्थिरता और निरंतरता: रिन्यूएबल ऊर्जा के साथ मिलकर स्थिर बिजली उपलब्ध कराना।

अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, अर्जेंटीना, कनाडा, चीन, रूस, दक्षिण कोरिया, और अमेरिका जैसे देश स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों का विकास कर रहे हैं या उन्हें लाइसेंस दे रहे हैं।

भारत भी इस वैश्विक ऊर्जा क्रांति का हिस्सा बनने की कोशिश में है, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में मदद मिलेगी। ये भी पढ़ें – PB शब्द बनाम ANI कॉपीराइट विवाद: भारतीय कंटेंट क्रिएटर्स के लिए गेम चेंजर 2025

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर के काम करने का तरीका

SMRs में परमाणु विखंडन प्रक्रिया होती है, जिसमें यूरेनियम या प्लूटोनियम के नाभिक टूटते हैं और ऊर्जा निकलती है। यह ऊर्जा जल को भाप में बदल देती है, जो टरबाइन को घुमाती है और विद्युत उत्पादन होता है।

इन छोटे संयंत्रों में कई सेफ्टी फीचर्स होते हैं, जैसे:

  • स्वचालित कूलिंग सिस्टम
  • उच्च सुरक्षा मानक
  • आपातकालीन बंद करने की प्रणाली

यह प्रणाली पारंपरिक बड़े रिएक्टरों की तुलना में अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित होती है। International Atomic Energy Agency (IAEA)

भारत में स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर के भविष्य की संभावनाएं

  • 40-60 वर्ष तक टिकाऊ: SMRs को लंबे समय तक ऑपरेट करने के लिए डिजाइन किया जाता है।
  • दूरस्थ क्षेत्र में बिजली: बिजली की पहुंच बढ़ाने में मददगार।
  • औद्योगिक ऊर्जा जरूरतें: बड़े उद्योगों के लिए कैप्टिव पावर का विकल्प।
  • पर्यावरण संरक्षण: स्वच्छ ऊर्जा से प्रदूषण कम करना।
  • रोजगार सृजन: नए प्रोजेक्ट से तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षेत्र में रोजगार के अवसर।

(FAQs)

1. स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स और पारंपरिक परमाणु संयंत्रों में क्या अंतर है?
SMRs छोटे आकार के होते हैं, फैक्ट्री में बनाए जाते हैं और लागत में किफायती होते हैं, जबकि पारंपरिक रिएक्टर बड़े, महंगे और लंबे समय में बनाए जाते हैं।

2. क्या स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स सुरक्षित हैं?
हाँ, SMRs अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीकों से लैस होते हैं और बड़े हादसों की संभावना कम होती है।

3. भारत में SMRs कब तक आम हो जाएंगे?
सरकार का लक्ष्य है कि 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी SMRs चालू हो जाएंगे।

4. SMRs की ऊर्जा उत्पादन क्षमता क्या है?
SMRs 10 मेगावाट से 300 मेगावाट बिजली उत्पादन करते हैं।

5. SMRs भारत की ऊर्जा जरूरतों में कितना योगदान दे सकते हैं?
2047 तक भारत 1 लाख मेगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखता है, जिसमें SMRs एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स भारत के ऊर्जा भविष्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये न केवल ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करेंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा सुरक्षा, और आर्थिक विकास में भी सहायक होंगे। सरकार की सक्रिय पहल और वैश्विक तकनीकी सहयोग से भारत 2047 तक एक उन्नत, स्वच्छ, और आत्मनिर्भर ऊर्जा व्यवस्था स्थापित कर सकता है। स्रोत: DD News

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