हार्ट अटैक के लक्षण: आज के समय में हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। कई ऐसे मामले हमारे सामने आए हैं जब फिट, एक्टिव और जवान लोगों को अचानक दिल का दौरा पड़ा और उनकी जान चली गई। मशहूर नामों में सिद्धार्थ शुक्ला, केके और शेफाली जरीवाला जैसी हस्तियां शामिल हैं, जिन्होंने दिखा दिया कि उम्र या फिटनेस हार्ट अटैक से नहीं बचा सकती।
यह डरावनी सच्चाई है कि दिल की बीमारी के संकेत हमारे शरीर में पहले से ही दिखाई देने लगते हैं। समस्या ये है कि हम उन्हें पहचान नहीं पाते या नजरअंदाज कर देते हैं। आज हम बात करेंगे ऐसे ही संकेतों की जो हार्ट अटैक से करीब एक हफ्ता पहले हमारे शरीर में दिखने लगते हैं — और इन्हें पहचानकर आप अपनी या किसी अपने की जान बचा सकते हैं।
हार्ट अटैक होता कैसे है?
हार्ट अटैक तब होता है जब दिल तक ऑक्सीजन से भरपूर खून पहुंचाने वाली धमनी (कोरोनरी आर्टरी) में रुकावट आ जाती है। ये रुकावट आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल के जमाव या खून के थक्के की वजह से होती है। जब दिल की मसल्स तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, तो वह धीरे-धीरे डैमेज होने लगती हैं और यही स्थिति हार्ट अटैक बन जाती है।
हार्ट अटैक से पहले मिलते हैं चेतावनी संकेत
मेडिकल रिसर्च के अनुसार, हार्ट अटैक से पहले कई हल्के संकेत मिलते हैं जिन्हें “प्रोड्रोमल सिम्टम्स” कहा जाता है। ये संकेत अक्सर 3 से 7 दिन पहले दिखने लगते हैं। एक स्टडी के मुताबिक, करीब 41% मरीजों ने हार्ट अटैक से पहले इन सिम्टम्स को महसूस किया, लेकिन अफसोस की बात यह है कि अधिकतर लोगों ने उन्हें सीरियसली नहीं लिया।
चलिए अब जानते हैं उन संकेतों को जिन्हें देखकर आप समय रहते कदम उठा सकते हैं:
सीने में दबाव, दर्द या भारीपन
यह सबसे आम और शुरुआती संकेत है। हार्ट अटैक से पहले कुछ लोगों को लगता है जैसे सीने पर कोई भारी चीज रखी है, या हल्का सा दबाव है। ये दर्द बाएं कंधे, हाथ, गर्दन, यहां तक कि जबड़े तक भी फैल सकता है। खास बात यह है कि यह दर्द लगातार नहीं होता — यह आता है, फिर चला जाता है। और यही वजह है कि लोग इसे मामूली मानकर छोड़ देते हैं।
लेकिन अगर आप किसी ऐसे दर्द या भारीपन को बार-बार महसूस कर रहे हैं, तो इसे कभी भी नजरअंदाज ना करें। ये संकेत सीधा आपके दिल की तरफ इशारा कर रहा है।
सांस फूलना या अचानक थकान लगना
सांस फूलना यानी बिना मेहनत के ही तेजी से सांस चढ़ जाना, सीढ़ी चढ़ते वक्त या हल्का चलने पर भी अगर सांस उखड़ने लगे तो ये एक सीरियस संकेत है। क्लेवलैंड क्लिनिक की रिसर्च कहती है कि ऐसे मरीज जिन्हें हार्ट अटैक हुआ, उनमें से कई को पहले ही सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी।
कई बार लोग इसे फेफड़ों की समस्या या मौसम की मार समझकर इग्नोर कर देते हैं। लेकिन अगर ऐसा अनुभव लगातार हो रहा है, तो डॉक्टर से मिलना जरूरी है।

अत्यधिक थकान या कमजोरी
हार्ट अटैक से पहले जो थकान महसूस होती है, वो सामान्य थकावट से अलग होती है। यह थकावट पूरी नींद लेने के बाद भी बनी रहती है। ऐसा लगेगा जैसे शरीर में ऊर्जा नहीं बची, कोई काम करने का मन नहीं हो रहा, और हर वक्त कमजोरी महसूस हो रही है।
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ये संकेत बताते हैं कि आपका दिल शायद पूरे शरीर को सही तरीके से ब्लड सप्लाई नहीं कर पा रहा है। इसे नज़रअंदाज़ करना आपकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है।
धड़कन का अचानक तेज या अजीब तरीके से चलना
अगर आपको अचानक अपने दिल की धड़कन का एहसास होने लगे — जैसे कि दिल रुक-रुक कर धड़क रहा हो, बहुत तेज हो गया हो या अजीब धड़कन महसूस हो रही हो — तो यह पैलपिटेशन का लक्षण हो सकता है। आम तौर पर दिल की धड़कन हमें महसूस नहीं होती, लेकिन अगर होने लगे तो ये खतरे की घंटी है।
ठंडे पसीने आना
बिना किसी शारीरिक मेहनत, गर्मी या स्ट्रेस के अचानक ठंडे-ठंडे पसीने आना हार्ट अटैक का एक साइलेंट वार्निंग है। खासतौर पर अगर यह रात के समय बार-बार होता है, तो इसे बिल्कुल हल्के में न लें।
बदहजमी, मतली या पेट की जलन
हार्ट अटैक की शुरुआत कई बार एसिडिटी, गैस या मतली जैसे पेट से जुड़े लक्षणों के रूप में होती है। इसे अक्सर लोग पेट खराब या सामान्य गैस की परेशानी मानकर इग्नोर कर देते हैं। लेकिन यदि यह स्थिति बार-बार हो रही हो और लंबे समय तक बनी रहे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
चक्कर आना और नींद न आना
रात में नींद बार-बार टूटना, घबराहट महसूस होना या बिना किसी कारण के बेचैनी होना भी शुरुआती संकेतों में आता है। कई बार लोग इसे थकान या तनाव समझते हैं, लेकिन अगर यह लगातार हो रहा है, तो यह दिल की परेशानी का संकेत हो सकता है।
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एंजायटी या बेचैनी
हार्ट अटैक से कुछ दिन पहले कुछ लोगों को अनजाना डर या गहरी बेचैनी महसूस होती है। उन्हें लगता है जैसे कुछ गलत होने वाला है। अगर आपको भी इस तरह की एंजायटी हो रही है — बिना किसी खास वजह के — तो अपनी बॉडी की आवाज को अनसुना न करें।
महिलाओं में हार्ट अटैक के अलग लक्षण
महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण अक्सर पुरुषों से अलग होते हैं। करीब 70% महिलाओं को हार्ट अटैक के दौरान या उससे पहले सामान्य चेस्ट पेन नहीं होता। बल्कि वे ज्यादा महसूस करती हैं:
- लगातार थकावट
- पेट में दर्द या जलन
- मतली, उल्टी या अपच
- तेज घबराहट या एंजायटी
इसलिए महिलाओं को विशेष रूप से अपने शरीर में आने वाले छोटे-बड़े बदलावों को गंभीरता से लेना चाहिए
जवानों में हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाएं
आजकल हार्ट अटैक की घटनाएं सिर्फ 50 या 60 की उम्र के बाद नहीं होतीं। 25–40 साल के फिट और हेल्दी दिखने वाले लोगों में भी हार्ट फेलियर के केस बढ़ते जा रहे हैं। इसके पीछे की बड़ी वजहें हैं:
- स्ट्रेस और मानसिक दबाव
- नींद की कमी
- अनहेल्दी फूड हैबिट्स
- स्मोकिंग और शराब
- फिजिकल इनएक्टिविटी
इसलिए फिटनेस को लेकर सतर्क रहना ही काफी नहीं है — शरीर के हर सिग्नल को ध्यान से समझना भी जरूरी है।
हार्ट अटैक के सिग्नल मिलने पर क्या करें?
अगर आपको इन लक्षणों में से कोई भी महसूस हो रहा है तो सबसे पहले घबराएं नहीं, लेकिन लापरवाह भी न बनें। सबसे पहले अपने परिवार के किसी सदस्य को बताएं — सिर्फ खुद पर न रोकें, क्योंकि कई बार बाहर से कोई व्यक्ति आपके लक्षणों को ज़्यादा गंभीरता से ले सकता है।
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इसके बाद नजदीकी कार्डियोलॉजिस्ट या डॉक्टर से संपर्क करें। अगर लक्षण तेज हैं तो एंबुलेंस बुलाना बेहतर है, क्योंकि एंबुलेंस में ही शुरुआती इलाज शुरू हो सकता है — और यही इलाज आपकी जान बचा सकता है।
युवाओं में क्यों बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा?
आज के दौर में हार्ट अटैक अब केवल बुढ़ापे की बीमारी नहीं रही, बल्कि यह एक ‘लाइफस्टाइल डिजीज’ बन चुका है जो युवाओं को भी तेजी से अपना शिकार बना रहा है। इसका मुख्य कारण है हमारी बदलती जीवनशैली, जिसमें नींद की कमी, अत्यधिक मानसिक तनाव, खराब खानपान, शारीरिक निष्क्रियता और नशे की आदतें शामिल हैं।
आधुनिक life ने शरीर की ज़रूरतों को बैकसीट पर डाल दिया है। लोग घंटों लैपटॉप के सामने बैठकर काम करते हैं, नींद कम लेते हैं और जंक फूड से दिनभर का पेट भरते हैं। तनाव और प्रदर्शन का दबाव इतना है कि युवाओं की नसें वक्त से पहले कमजोर पड़ने लगी हैं। शरीर में धीरे-धीरे सूजन बढ़ने लगती है, जो हृदय की रक्त वाहिनियों पर असर डालती है।
इसके चलते ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल धीरे-धीरे खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, और व्यक्ति को हार्ट अटैक का सामना करना पड़ता है — वो भी बिना किसी क्लासिक लक्षण के। यही कारण है कि 30-40 वर्ष की उम्र में ही कई लोग अचानक कार्डियक अरेस्ट के शिकार हो जाते हैं और परिवार को तक पता नहीं चलता कि उनके शरीर के भीतर कितनी गंभीर गड़बड़ी चल रही थी।

हार्ट अटैक को लेकर आम लोगों की गलतफहमियां
बहुत सारे लोग आज भी यह मानते हैं कि जब तक सीने में तेज़ दर्द न हो, तब तक कोई खतरा नहीं है। लेकिन यह सोच कई बार जानलेवा साबित हो सकती है। असल में, हार्ट अटैक के लक्षण व्यक्ति दर व्यक्ति अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों को चेस्ट पेन बिल्कुल भी महसूस नहीं होता, जबकि कुछ में यह हल्की जलन, भारीपन, बदहजमी, या यहां तक कि एक थकावट की तरह महसूस होता है। महिलाएं, डायबिटिक पेशेंट्स और बुजुर्गों में हार्ट अटैक के साइलेंट लक्षण अधिक आम हैं।
कई बार शरीर सिर्फ़ गैस, चक्कर, अनिद्रा या मूड स्विंग जैसी चीजों से संकेत देना शुरू कर देता है, लेकिन हम इन्हें मामूली समझ कर टाल देते हैं। एक और भ्रम यह भी है कि अगर कोई रेगुलर एक्सरसाइज़ करता है या जिम जाता है, तो वह दिल की बीमारी से सुरक्षित है। परंतु ऐसा बिल्कुल नहीं है। हार्ट डिजीज का रिश्ता केवल फिजिकल फिटनेस से नहीं बल्कि मानसिक और आंतरिक फिटनेस से भी जुड़ा होता है। आपकी रक्त नलिकाएं, हार्मोनल बैलेंस, स्ट्रेस लेवल, नींद की क्वॉलिटी और आहार का संतुलन भी उतना ही अहम है जितना कि आपकी एक्सरसाइज़।
समय पर मेडिकल चेकअप: एक बचाव कवच
भारत में एक बड़ी समस्या यह है कि जब तक किसी समस्या का असर शरीर पर नज़र नहीं आने लगे, तब तक लोग मेडिकल चेकअप की आवश्यकता नहीं समझते। जबकि हार्ट से जुड़ी समस्याएं धीरे-धीरे, बिना कोई शोर किए शरीर में बढ़ती हैं और जब तक कोई बड़ा संकट सामने आता है, तब तक इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
यदि आप 30 की उम्र पार कर चुके हैं और किसी भी प्रकार का फैमिली हिस्ट्री है जिसमें हार्ट डिजीज, डायबिटीज़ या हाई BP शामिल है, तो आपको हर 6 महीने में एक बेसिक कार्डियक स्क्रीनिंग करवा लेनी चाहिए। ECG, ECHO, लिपिड प्रोफाइल, ब्लड शुगर और बीपी की नियमित जांच इस दिशा में पहला और सबसे जरूरी कदम है।
डॉक्टर को समय-समय पर रिपोर्ट दिखाना, अपनी लाइफस्टाइल की जानकारी देना, और छोटे बदलावों को भी सीरियसली लेना आपके जीवन को बचा सकता है। ध्यान रखें – हार्ट अटैक से पहले शरीर बार-बार आपको संकेत देता है, लेकिन इन संकेतों को समझने के लिए जागरूकता और सतर्कता सबसे ज़रूरी चीज़ है।
तनाव और मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध दिल की बीमारियों से
शायद यह बात आपको चौंकाए, लेकिन मानसिक तनाव यानी क्रॉनिक स्ट्रेस आपके दिल का सबसे खामोश दुश्मन होता है। आज के दौर में जब जीवन की गति बहुत तेज़ हो गई है, जब हर कोई अपनी जगह बनाए रखने के लिए दौड़ रहा है, तब तनाव एक आम बीमारी बन चुका है। लेकिन यह तनाव जब लंबे समय तक रहता है तो शरीर में ‘कोर्टिसोल’ और ‘एड्रेनालाईन’ जैसे हार्मोन बढ़ जाते हैं।
ये हार्मोन नसों पर दबाव डालते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और नसें सख्त हो जाती हैं। यही सख्त नसें ब्लड फ्लो को बाधित करती हैं और हार्ट अटैक का कारण बनती हैं। साथ ही जब इंसान तनाव में होता है तो वह या तो अधिक खाता है, या बहुत कम खाता है, ठीक से सो नहीं पाता, या फिर धूम्रपान और शराब जैसे गलत आदतों की ओर चला जाता है। ये सारी बातें मिलकर दिल की स्थिति को और गंभीर बना देती हैं। इसलिए अगर आप तनाव को हल्के में लेते हैं
तो यह समझ लीजिए कि आप अपने दिल के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। योग, ध्यान, किताबें पढ़ना, या किसी थेरेपिस्ट से बात करना — ये सभी उपाय तनाव को कम करने और हार्ट हेल्थ बेहतर बनाने में काफी मददगार हो सकते हैं।
हार्ट हेल्थ के लिए क्या आज से ही शुरू करना चाहिए?
अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि हार्ट अटैक किसी भी उम्र में, किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, तो हमें यह समझना होगा कि इसकी रोकथाम केवल मेडिकल इलाज से नहीं बल्कि संपूर्ण जीवनशैली के संतुलन से संभव है। आपको अपनी डेली रूटीन में 30 मिनट की वॉक या एक्सरसाइज को शामिल करना ही होगा।
भोजन में हरी सब्जियाँ, फल, कम फैट वाले प्रोटीन, और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स को बढ़ाना होगा। स्मोकिंग और शराब जैसी हानिकारक आदतों को तुरंत छोड़ना होगा, क्योंकि यही आदतें धीरे-धीरे आपकी धमनियों को बंद करती हैं। सबसे जरूरी बात, आपको अपने शरीर को सुनना सीखना होगा — हर अजीब बदलाव, अनयूजुअल थकावट, बेचैनी या सीने में हल्का सा भी दबाव हो, तो उसे नजरअंदाज न करें। अपने मन की आवाज और शरीर के संकेतों के बीच संतुलन ही हार्ट अटैक से बचने का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।
निष्कर्ष: अवेयरनेस ही सबसे बड़ा बचाव
हार्ट अटैक की कोई उम्र नहीं होती। यह किसी को भी, कभी भी हो सकता है। पर अगर हम अपने शरीर को सुनें, समय रहते संकेत पहचानें और तुरंत कार्रवाई करें — तो हम ना सिर्फ अपनी जान बचा सकते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी मिसाल बन सकते हैं।
याद रखिए — हार्ट अटैक एक इमरजेंसी है, लेकिन यह अचानक नहीं होता। शरीर पहले से ही हमें चेतावनी देना शुरू कर देता है। आपकी जागरूकता ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।
प्रश्न: हार्ट अटैक के लक्षण क्या होते हैं?
हार्ट अटैक में आमतौर पर छाती में तेज दर्द, सांस लेने में कठिनाई, हाथों में दर्द, पसीना आना और घबराहट जैसे लक्षण देखे जाते हैं।
प्रश्न: क्या हार्ट अटैक बिना दर्द के भी हो सकता है?
हाँ, कुछ मामलों में ‘Silent Heart Attack’ होता है जिसमें दर्द महसूस नहीं होता, लेकिन शरीर में थकावट, सांस फूलना या हल्की बेचैनी हो सकती है।
प्रश्न: हार्ट अटैक आने पर तुरंत क्या करना चाहिए?
व्यक्ति को आराम देना चाहिए, तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ और अगर संभव हो तो Aspirin दें। डॉक्टर की सलाह सबसे ज़रूरी है।