Starlink Kya Hai: कैसे काम करता है ? जानें कैसे यह ग्लोबल इंटरनेट नेटवर्क बदलने वाला है 2024

Starlink:स्टारलिंक, स्पेसएक्स द्वारा दी जाने वाली एक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा है. इसका मकसद, दुनिया भर में इंटरनेट कवरेज देना है. यह सेवा, बिना तार और टावर के इंटरनेट की सुविधा देती है आगे बात करेंगे इसके बारे में कैसे काम करता है। क्या होता है?
एलोन मस्क और मुकेश अंबानी के बीच फाइट:
ये फाइट दरअसल चल क्यों रही है starlink एलोन मस्क की कंपनी है जो Starlink बेस्ड इंटरनेट प्रोवाइड करती है। एलोन मस्क के लगभग 1000 से भी ज्यादा। सैटेलाइट है जो L. E. O सैटेलाइट कहा जाता है लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट जो जमीन से ज्यादा दूरी पे नहीं होते और आप अपने नेकेड आइ से उसे देख सकते हैं। कई बार इंडिया में उनके सैटीलाइट्स भी देखे गए हैं।
मुकेश अंबानी का जियो एयर फाइबर भी लाता है। एयर फाइबर आपको इंटरनेट अक्सेस करने के लिए किसी भी फाइबर ऑप्टिक्स की जरूरत नहीं होती यानी बिना केवल के ही आपके घर पे इंटरनेट चलता है।जियो का एयर फाइबर इंडिया में काफी पॉपुलर भी हो रहा है।खासतौर पर उन जगहों के लिए जहाँ पर आपका मतलब जो प्रॉपर केबल वाली इंटरनेट है, वहाँ नहीं है तो वहाँ पर प्ले में आता है जियो का एयर फाइबर।
स्टारलिंक इंडिया में 2021 से आने की कोशिश कर रहा है। बट अभी उसे एक बड़ा ब्रेक थ्रू मिल गया। ब्रेक थ्रू ये है कि गवर्नमेंट ने स्टारलिंक को यह परमिशन दे दी है। की वो इंडिया में आ करके अपना बिज़नेस कर सकते है। अब इससे मुकेश अंबानी को ज़ाहिर सी बात है यानी जियो को प्रॉब्लम होगी क्योंकि मार्केट शेयर उनका डिलूट हो सकता है, क्योंकि Alon musk के पास ऑलरेडी काफी इंफ्रास्ट्रक्चर है इस चीज़ के लिए क्योंकि उनके सैटेलाइट ऑलरेडी अप एंड रनिंग है और उन्हें इंटरनेट प्रोवाइड करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।
जबकि रिलायंस का सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सिस्टम नहीं है, बल्कि नॉर्मल एयर फाइबर है, जो टावर होता है उससे ही कनेक्टेड रहता है। हालांकि उसमें केबल की जरूरत नहीं पड़ती है। बट Starlink प्रॉपर सैटेलाइटट बेस्ड इंटरनेट है तो यहाँ पर एक गवर्नमेंट का भी बहुत बड़ा रोल है, क्योंकि गवर्नमेंट ने अलोकेशन और ऑक्शन में अलोकेशन को चुना है।
नॉर्मल्ली ऑक्शन होता है जबकि मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस चाहती है कि जो सैटेलाइट इंटरनेट का ऑक्शन हो, अलोकेशन नहीं हो क्योंकि ऑक्शन में इन्हें फायदा मिलेगा। ऑलरेडी दे अरे एग्ज़िस्टिंग प्लेयर्स तो ये हैब्रिड लगा करके वो ऑक्शन जीत सकते हैं। बट यहाँ पे? सरकार ने अपना स्टैंड चेंज किया है और इसे अलोकेशन के कैटेगरी में डाल दिया है की ये जो की स्पेक्ट्रम नॉर्मल स्पेक्ट्रम नहीं है तो इसका ऑप्शन नहीं बल्कि अलोकेशन किया जाएगा। अब जो की अलोकेशन होगा तो इस वजह से Starlink के लिए एक हरी झंडी की तरह है कि वो अलोकेशन में पार्ट लेंगे और इंडिया में अपना शुरू कर देंगे।
रिलायंस और एयरटेल के लिए ये एक मुश्किल की तरह है क्योंकि अब एयरटेल ने भी अपना स्टैंड रखा है की इसका अलोकेशन नहीं बल्कि ऑक्शन होना चाहिए। अब ये साफ है की अगर सरकार इसका अलोकेशन नहीं ऑक्शन करती है सैटेलाइट इंटरनेट का तो फिर एलोन मस्क की एंट्री मुश्किल में आ सकती है।
यानी फिर Starlink इंडिया में नहीं आ सकता है क्योंकि नॉर्मल्ली जब ऑक्शन होता है तो जो ग्लोबल प्लेयर होते हैं वो बिड नहीं करते। अब Alon musk को पूरी तरीके से यहाँ पहले आना पड़ेगा। फिर उसके बाद ऑक्शन में हिस्सा लेना पड़ेगा। बट अलोकेशन अगर जब होगा तो Alon musk की एंट्री हो जाएगी।
एयर फाइबर और Starlink क्या है कैसे काम करते हैं :
Starlink: Starlink एक डिवाइस आपको प्रोवाइड करता है वो आपको आपके छत पर लगता है वो डायरेक्ट सैटेलाइट से इंटरनेट की कनेक्टिविटी आपके घर तक पहुंचाता है। उसके लिए किसी भी केबल की जरूरत नहीं होती है। इवन दो रूटर्स आप यूज़ कर सकते है उससे आप केबल निकाल कर के अपने मशीन में लगा सकते है
एयर फाइबर: एयर फाइबर में कोई सैटेलाइट इन्वोल्वड नहीं है। डाइरेक्टली उसमें ऑप्टिकल फाइबर ही यूज़ किया जाता है। बट ऑप्टिकल फाइबर का जो यूज़ होता है वो नेटवर्क यानी टावर टु टावर होता है तो आपके पास वो ऑप्टिकल फाइबर आने की जरूरत नहीं है। इन फॅक्ट जहाँ भी ऑप्टिकल फाइबर नहीं है वहाँ ये पहुँच सकता है।
starlink की सबसे बड़ी खासियत ये है की वैसे जगहों पर भी पहुँच सकता है जहाँ पर कोई भी नेटवर्क नहीं है। कोई भी टावर नहीं है क्योंकि उसके सैटेलाइट हजारों की मात्रा में ऊपर घूमते रहते हैं और दुनिया भर में वो इंटरनेट प्रोवाइड करने के कापबल भी है। तो ज़ाहिर सी बात है। बहुत एरिया कवर कर लेंगे।
Starlink क्या होता है कैसे काम करता है ?
स्टारलिंक, स्पेसएक्स द्वारा दी जाने वाली एक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा है. इसका मकसद, दुनिया भर में इंटरनेट कवरेज देना है. यह सेवा, बिना तार और टावर के इंटरनेट की सुविधा देती है. स्टारलिंक की खासियतें ये हैं।
यह सेवा, पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में मौजूद उपग्रहों के नेटवर्क का इस्तेमाल करके इंटरनेट पहुंचाती है.
स्टारलिंक, ग्रामीण और दूर-दराज़ इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी मुहैया कराती है.
स्टारलिंक की लेटेंसी दर कम है, यानी सैटेलाइट से ज़मीन पर सिग्नल भेजने में देरी नहीं होती.
स्टारलिंक की इंटरनेट स्पीड 20 से 250 मेगाबिट प्रति सेकंड तक हो सकती है.
स्टारलिंक का इस्तेमाल, रुसो-यूक्रेनी युद्ध में बड़े पैमाने पर किया गया था.