Justice Sanjiv Khanna के कार्यकाल में होंगे ये बड़े केस: 2024
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Justice Sanjiv Khanna:जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट 51 वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली। उन्होंने डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली है। चंद्रचूड़ का 2 साल का कार्यकाल रविवार को खत्म हो गया और वह 65 साल की उम्र में रिटायर्ड हो गए। उन्होंने 8 नवंबर 2022 को CJI के रूप में कार्यभार संभाला था।
जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 6 महीने यानी की 13 मई 2025 तक रहेगा। नए CJI बेंच के पास कई मामले पेंडिंग है। इनमें बिहार में जाति जनगणना की वैधता, पीएम मोदी से जुड़ी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री जैसे बड़े केश शामिल है।CJI के सामने इन केशो के निस्तारण की चुनौती भी रहेगी। जस्टिस संजीव खन्ना को स्पष्ट फैसले लिखने के लिए जाना जाता है और उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बड़ी और चर्चित मामलों में ऐतिहासिक फैसले सुनाए।
Justice Sanjiv Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना
Justice Sanjiv Khanna अब तक आरटीआई जुडिशल ट्रांसपेरेंसी, विविपेट इलेक्टोरल बांड और अनुच्छेद 370 समेत कई बड़े मामलों के फैसले से जुड़े रहे है। Justice Sanjiv Khanna के नाम की सिफारिश निवर्तमान CJI चंद्रचूड़ ने की थी। खन्ना को जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। जस्टिस संजीव खन्ना के कार्यकाल में उनके समक्ष कुछ लंबित बड़े मामले होंगे और इन केशो में फैसले करने में उनकी क्षमता पर लोगों की निगाहें रहेगी।
समलैंगिक विवाह के अधिकार को खारिज करने वाले आदेश की समीक्षा वैवाहिक बलात्कार का मामला दांपत्य अधिकारों की बहाली की वैधता नागरिक संशोधन अधिनियम जैसे कि शामिल है। इसके अलावा सालों तक जेल में बंद राजनीतिक बंदियों को जस्टिस खन्ना के कार्यकाल के दौरान समय से राहत मिलती है या नहीं। इस पर भी नजर रहेगी।
दिल्ली के प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस संजीव खन्ना तीसरी पीढ़ी के वकील रहे है। उन्होंने न्यायाधीश बनने से पहले अपने कैरियर की शुरुआत साल 1983 में तीस हजारी कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस के साथ की थी उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट ने भी वकालत की और अब अगले 6 महीने तक देश के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी संभालेंगे।
Sanjiv Khanna का जन्म 1960 को दिल्ली में हुआ था और लॉ की पढ़ाई उन्होंने डीयू के केंपस लॉ सेंटर से की थी उन्हें 2004 में दिल्ली के स्थाई वकील के रूप में नियुक्ति मिली। 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट में जज बने और बाद में उन्हें स्थाई जज नियुक्त किया गया। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में अतिरिक्त लोक अभियोजक ओर कई आपराधिक मामलों में बहस की थी।
आयकर विभाग के वरिष्ठ वकील के तौर पर उनका कार्यकाल लंबा रहा।चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अधिनियम 2023 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और यह केश जस्टिस खन्ना की बेंच के पास है सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की गई है। इसमें CJI को चुनाव आयुक्तों के चयन पैनल से हटाने को चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त नियुक्ति सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि अधिनियम 2023 में स्पष्ट उल्लंघन हुआ है।सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम 2023 अनूप बरनवाल, 2023 में संविधान पीठ के फैसले के विपरीत है या फिर नहीं है।
24 जनवरी 2024 को कोलकाता हाइकोर्ट सिंगल बेंच के आदेश और 25 जनवरी 2024 को डबल बेंच के फैसले के बीच का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। इस केश की सुनवाई करने वाली बेंच भी जस्टिस खन्ना के पास है। दरअसल अभिजीत गंगू उपाध्याय के सिंगल बेंच ने 24 जनवरी को पश्चिम बंगाल पुलिस से जुड़े मामले में संबंधित दस्तावेज सीबीआई को सौंपने को कहा था।
इस पर बंगाल सरकार ने जस्टिस सोमेन और उदय कुमार के बेंच का रुख किया। जिसने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दीया। गंगू उपाध्याय ने अपने आदेश में डबल बैंच का नेतृत्व कर रहे जस्टिस सोमेन सेन पर कदाचार का आरोप लगाया और एक राजनीतिक दल के लिए काम करने का आरोप लगाया।
सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि क्या अनुच्छेद 194 के तहत विधी निर्माताओं को प्राप्त प्रतिरक्षा अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंतरता के मौलिक अधिकार पर हावी हैं या नहीं।
राज्यों के वार्षिक कारोबार के आधार पर टेक्स लगाने का अधिकार मामला भी जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच के ही पास हैं। और इस केस में अर्जुन फ्लोर मिल्स बनाम ओडिशा राज पक्षकार हैं। सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि राज्य सरकारों को वार्षिक कारोबार के आधार पर बिक्री कर वसूलने की संवैधानिक अनुमति है या नहीं।
मुख्य बिंदुओं का सारांश:
1. नवीनतम नियुक्ति: जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के 51वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली, उन्होंने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की जगह ली।
2. कार्यकाल: जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 6 महीने का होगा, जो 13 मई 2025 तक चलेगा।
3. पेंडिंग मामले: नई बेंच के पास कई महत्वपूर्ण मामले हैं, जैसे:
- बिहार में जाति जनगणना की वैधता।
- पीएम मोदी से जुड़ी BBC की डॉक्यूमेंट्री पर बैन।
- अनुच्छेद 194 के तहत विधायकों को प्राप्त प्रतिरक्षा और अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला।
- राज्यों के वार्षिक कारोबार के आधार पर टैक्स लगाने का अधिकार।
4. सिफारिश: जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश निवर्तमान चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने की थी।
निष्कर्ष: जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल महत्वपूर्ण मामलों के निपटारे के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। उनके सामने कई संवैधानिक और सामाजिक मुद्दे हैं, जिनका निर्णय देश की न्यायिक प्रणाली और समाज पर गहरा प्रभाव डालेगा। उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की बेंच की कार्यप्रणाली पर सभी की नजरें रहेंगी।
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