बारिश और बाढ़: देशभर में मानसून अपने चरम पर है, लेकिन इस बार यह राहत नहीं, बल्कि आफत बनकर बरस रहा है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे कई राज्यों में भारी बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। कहीं बाढ़ ने गांव के गांव डुबो दिए हैं, तो कहीं शहरों की सड़कों पर नदियां बहने लगी हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि किस तरह बारिश ने कहर बरपाया है, किन राज्यों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, प्रशासन की तैयारी कैसी है, और इस स्थिति में आम जनता को क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश: महोबा से झांसी तक बर्बादी की बारिश
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में बारिश ने दो लोगों की जान ले ली और दर्जनों गांवों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है। यहां की तस्वीरें देखकर दिल दहल जाता है। सड़कें टूट चुकी हैं, खेत डूब गए हैं और घरों में पानी घुस गया है। प्रशासन अलर्ट मोड पर है, लेकिन हालात बेकाबू होते जा रहे हैं।
झांसी से भी बर्बादी की खबरें आई हैं। एक मकान में पानी भरने से पूरा परिवार संकट में आ गया। एनडीआरएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। यह सिर्फ एक उदाहरण है, राज्य के कई इलाकों में ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं।
मध्य प्रदेश: जलसैलाब ने शहरों को समेटा
मध्य प्रदेश के कई जिले जैसे टीकमगढ़, छतरपुर, सागर और ग्वालियर भारी बारिश की चपेट में हैं। टीकमगढ़ में नदी-नाले उफान पर हैं और गांव-शहर के बीच संपर्क टूट गया है। पानी दुकानों और घरों तक घुस चुका है, जिससे करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है।
छतरपुर की गलियों में बाढ़ का पानी इस कदर बह रहा है कि लोग अपना सामान बचाने की कोशिश में जान जोखिम में डाल रहे हैं। घरों में रखा फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स और राशन सब कुछ पानी में डूब चुका है। वहीं, ग्वालियर की तस्वीरें देखकर लग रहा है जैसे पूरा शहर जल समाधि ले चुका हो।
भोपाल में प्रशासन की पोल खोलती बारिश
भोपाल के पटेल नगर इलाके में मुख्य सड़क पर गड्ढा इतना गहरा हो गया कि उसमें पूरी बस धंस गई। उस बस में कई यात्री सवार थे, जो किसी तरह सुरक्षित बाहर निकले। यह घटना इस बात का सबूत है कि सिर्फ मौसम ही नहीं, प्रशासनिक लापरवाही भी इस तबाही के लिए जिम्मेदार है।
राजस्थान: अजमेर, राजसमंद और बूंदी में भारी तबाही
राजस्थान की स्थिति बेहद गंभीर है। अजमेर में मूसलाधार बारिश से पुष्कर सरोवर के सभी 52 घाट डूब चुके हैं। ड्रोन से ली गई तस्वीरें किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं हैं। सड़कों से लेकर मंदिरों तक, हर जगह पानी का कब्जा है।
राजसमंद जिले में तो एक तालाब का बांध टूट गया, जिससे पूरा क्षेत्र जलमग्न हो गया। रास्ते बंद हो गए, गांवों का संपर्क टूट गया और लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया। यहां स्कूली बच्चे भी बाढ़ में फंस गए थे, जिन्हें बड़ी मुश्किल से रेस्क्यू किया गया।
बूंदी में बारिश का दौर लगातार जारी है। जलाशयों का जल स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है, जिससे छह गेट खोलने पड़े। शहर की सड़कों पर पानी का कब्जा है और वाहन पूरी तरह से रुक चुके हैं।
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टोंक: नदी-नालों का उफान और डूबता जनजीवन
राजस्थान के टोंक जिले में पिछले 15 घंटों से लगातार बारिश हो रही है। सहोदरा नदी उफान पर है, और उसका पानी टोडी सागर को ओवरफ्लो कर चुका है। ट्रक तक बहते नजर आ रहे हैं। वहीं रामसागर बांध भी पूरी तरह से भर गया है और प्रशासन को गेट खोलने पड़े हैं।

हिमाचल प्रदेश: पहाड़ों पर भी खतरा मंडरा रहा है
पहाड़ी राज्यों में भी हालात बेहतर नहीं हैं। मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। 21 और 22 जुलाई को भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। पहाड़ों पर भूस्खलन का खतरा भी लगातार बना हुआ है।
कांवड़ यात्रा में भी बाढ़ का असर
उत्तराखंड के हरिद्वार में कांवड़ यात्रा पर निकले श्रद्धालु भी बाढ़ के कहर से नहीं बच पाए। एक कांवड़िया गंगा नदी के तेज बहाव में बह गया था, जिसे रस्सियों के सहारे लोगों ने किसी तरह बचाया। यह घटना बताती है कि नदियों का जलस्तर कितना खतरनाक हो गया है।
क्या कर रहा है प्रशासन?
प्रशासन ने अधिकतर प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात कर दी हैं। राहत शिविर बनाए जा रहे हैं, और जलभराव वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। लेकिन जिस पैमाने पर बारिश हो रही है, उसके सामने ये प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।
राजस्थान के अजमेर, राजसमंद और बूंदी जैसे जिलों में तो ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही है। लेकिन कई जगहों पर अब भी लोग मदद का इंतजार कर रहे हैं। सड़कों के टूटने और बिजली-पानी की सेवाएं बाधित होने से स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है।
आगे क्या हो सकता है?
मौसम विभाग के अनुसार आने वाले कुछ दिनों में बारिश का दौर जारी रहेगा। मध्य भारत और उत्तरी राज्यों में और अधिक भारी बारिश की संभावना है। निचले इलाकों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति और विकराल हो सकती है।
ऐसे में लोगों से अपील की जा रही है कि जब तक बेहद जरूरी न हो, तब तक घर से बाहर न निकलें। प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें और सावधानी बरतें।
क्या हैं इसकी बड़ी वजहें?
बारिश प्राकृतिक घटना है, लेकिन जिस तरह से शहरीकरण, जंगलों की कटाई और जल निकासी के उचित प्रबंध नहीं किए गए, वह इस तबाही की बड़ी वजह बनती जा रही है। नदियों और तालाबों की सफाई नहीं होना, नालों का अवरुद्ध हो जाना और शहरों में बेतरतीब निर्माण कार्य बारिश को और खतरनाक बना रहे हैं।
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अगर समय रहते इन कारणों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो हर साल मानसून का यही मंजर देखने को मिलेगा—तस्वीरें बदलेंगी, शहर बदलेंगे, लेकिन तबाही की कहानी वही रहेगी।
कैसे करें खुद की और अपनों की सुरक्षा?
अगर आप बाढ़ प्रभावित इलाके में रहते हैं, तो कुछ जरूरी उपाय अपनाकर खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। जैसे कि घर में हमेशा आपातकालीन किट तैयार रखें जिसमें टॉर्च, बैटरी, जरूरी दवाइयां और पीने का पानी हो।
अगर घर में पानी घुसने लगे, तो बिजली के उपकरणों से दूरी बनाए रखें और बिजली की सप्लाई तुरंत बंद कर दें। प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और अफवाहों से दूर रहें।
बारिश राहत नहीं, आफत क्यों बन रही है?
बारिश का मौसम कभी किसानों के लिए खुशी लाता था, लेकिन अब वही पानी जानलेवा बनता जा रहा है। इसके पीछे सिर्फ प्रकृति का दोष नहीं है, हमारी लापरवाह नीतियां और विकास की गलत दिशा भी जिम्मेदार है।
अगर हम अब भी नहीं जागे और पर्यावरण के साथ संतुलन नहीं बनाया, तो यह आपदा हर साल और विकराल होती जाएगी। जल संचयन, वृक्षारोपण और बेहतर शहरी नियोजन ही इसका स्थायी समाधान है।