रविवार, 20th जुलाई, 2025

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रिटर्न फ्रॉड ई-कॉमर्स 2025: ऑनलाइन शॉपिंग में बढ़ते धोखाधड़ी के नए तरीके

रिटर्न फ्रॉड ई-कॉमर्स 2025: बीते कुछ वर्षों में भारत में ऑनलाइन शॉपिंग का चलन अभूतपूर्व रूप से बढ़ा है। Flipkart, Amazon, Meesho, Myntra, Zepto जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने आम लोगों के जीवन को बेहद आसान बना दिया है। अब कोई भी व्यक्ति महज़ एक क्लिक पर कपड़े, गैजेट्स, घरेलू सामान, ग्रॉसरी से लेकर फर्नीचर तक ऑर्डर कर सकता है और वो सामान सीधे उनके दरवाज़े पर पहुंच जाता है।

ऑनलाइन शॉपिंग का ये सफर बहुत सुविधाजनक रहा है। लेकिन इसी सुविधा के साथ एक स्याह पहलू भी जुड़ गया है – रिटर्न फ्रॉड। यह ऐसा खतरा बन चुका है जो अब ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है।

रिटर्न पॉलिसी: ग्राहक के लिए वरदान या कंपनियों के लिए मुसीबत?

ई-कॉमर्स कंपनियों ने ग्राहकों को संतुष्ट रखने के लिए ‘नो-क्वेश्चन रिटर्न पॉलिसी’ लागू की थी। यानी अगर कोई प्रोडक्ट पसंद न आए, डिफेक्टिव हो या गलत डिलीवर हो जाए तो ग्राहक उसे आसानी से वापस कर सकता है। यह भरोसे की एक मजबूत नींव थी जिसने ऑनलाइन खरीदारी को इतना लोकप्रिय बना दिया।

लेकिन अब इसी सुविधा का कुछ लोग गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ ग्राहक जानबूझकर गलत या सस्ता सामान भेजकर महंगे प्रोडक्ट्स के रिफंड ले रहे हैं। कई बार रिटर्न में खाली बॉक्स या पुरानी, घिसी हुई टी-शर्ट भेजी जाती है जबकि ऑर्डर महंगे डिजाइनर कपड़े का होता है। कुछ लोग फर्जी पते और नकली अकाउंट्स बनाकर लाखों के रिटर्न्स हासिल कर लेते हैं — वो भी बिना एक भी प्रोडक्ट लौटाए।

ताजा उदाहरण: धोखे की नई तकनीक

हाल ही में सामने आया एक मामला इस खतरे को उजागर करता है। एक ग्राहक ने एक महंगा डिजाइनर ड्रेस ऑर्डर किया और जब रिटर्न किया तो बॉक्स में पुरानी, इस्तेमाल की गई टीशर्ट मिली। यह अकेला मामला नहीं है। कई ऐसे फर्जी अकाउंट्स मिले हैं जिन्होंने नकली पते डालकर एक ही कंपनी से ₹1 करोड़ 10 लाख रुपए के रिफंड ले लिए, वह भी बिना कोई प्रोडक्ट लौटाए।

अब कल्पना कीजिए — ये सब तब हो रहा है जब कंपनियां अपने ग्राहकों को बेहतर सेवा देने की कोशिश में हैं।

रिटर्न फ्रॉड से कितना बड़ा नुकसान?

ग्लोबल फ्रॉड प्रिवेंशन कंपनी Bureau की चीफ मार्केटिंग ऑफिसर वनीता पांडे के अनुसार, भारत में वित्तीय वर्ष 2024 के दौरान ₹15,000 करोड़ से अधिक का नुकसान केवल ई-कॉमर्स फ्रॉड से हुआ है। इनमें से बड़ी हिस्सेदारी रिटर्न फ्रॉड की है।

भारत में हर 100 में से 15-16 प्रोडक्ट्स किसी न किसी कारणवश लौटाए जाते हैं। लेकिन इनमें से लगभग 10% रिटर्न फर्जी पाए गए हैं। वैश्विक स्तर पर देखें तो 2024 में ही ई-कॉमर्स कंपनियों ने $3 बिलियन (करीब ₹25,000 करोड़) रिटर्न फ्रॉड की वजह से गंवा दिए।

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रिटर्न फ्रॉड कैसे होते हैं?

इन धोखाधड़ियों के तरीके समय के साथ और भी चालाक होते जा रहे हैं। कुछ सामान्य तरीकों में शामिल हैं:

महंगे प्रोडक्ट्स ऑर्डर करना और सस्ता या खराब सामान लौटाना
खाली बॉक्स भेजकर रिफंड की मांग करना
डिलीवरी न होने का झूठा दावा करना
फर्जी पते और नामों से कई अकाउंट बनाकर बार-बार फ्रॉड करना
अब तो AI आधारित बोट्स भी ऑर्डर और रिटर्न प्रोसेस में इस्तेमाल होने लगे हैं ताकि कंपनियों को चकमा दिया जा सके

रिटर्न फ्रॉड ई-कॉमर्स 2025: ऑनलाइन शॉपिंग में बढ़ते धोखाधड़ी के नए तरीके

कंपनियों की जवाबी रणनीति

ई-कॉमर्स कंपनियां अब इस बढ़ते फ्रॉड के खिलाफ सख्त हो गई हैं। कई कंपनियों ने रिटर्न पॉलिसी में बदलाव करने शुरू कर दिए हैं ताकि धोखेबाजों पर लगाम लगाई जा सके।

Myntra अब उन ग्राहकों के अकाउंट्स को सस्पेंड कर रही है जिनका रिटर्न रेट असामान्य रूप से ज्यादा है। ऐसे यूज़र्स को ‘कैश ऑन डिलीवरी’ की सुविधा भी बंद कर दी जाती है।

Amazon ने फैशन और होम डेकोर जैसी कैटेगरी में रिटर्न विंडो को 30 दिन से घटाकर सिर्फ 7 दिन कर दिया है। यह निर्णय उन ग्राहकों को हतोत्साहित करने के लिए है जो बार-बार सामान मंगाकर वापस करते हैं।

Zepto और Blinkit जैसे क्विक-कॉमर्स स्टार्टअप्स भी अब हर रिटर्न को मैन्युअल रूप से वेरिफाई कर रहे हैं और तभी रिफंड प्रोसेस किया जाता है। क्योंकि इनके प्रोडक्ट्स की डिलीवरी बहुत ही लोकल लेवल पर होती है, इसलिए जांच आसान हो जाती है।

डायरेक्ट टू कस्टमर (D2C) ब्रांड्स भी संकट में

GoKwik के सीईओ चिराग तनेजा का कहना है कि कई D2C ब्रांड्स जैसे लेंसकार्ट, शॉपर्स स्टॉप आदि को भी इस फ्रॉड का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि लगभग 12% ग्राहक अपनी आधे से ज्यादा शॉपिंग लौटा देते हैं जिससे न केवल कंपनियों का पैसा फंसता है बल्कि लॉजिस्टिक्स खर्च भी दोगुना हो जाता है।

रिवर्स लॉजिस्टिक्स, यानी प्रोडक्ट को वापस लाने की प्रक्रिया, फॉरवर्ड शिपिंग की तुलना में अधिक खर्चीली होती है। इससे कंपनियों का मुनाफा तेजी से गिरता जा रहा है।

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क्या भरोसे की नींव हिल रही है?

अब सवाल उठता है कि क्या ऑनलाइन शॉपिंग पहले जैसी भरोसेमंद रहेगी? क्या हर ग्राहक को अब शक की निगाह से देखा जाएगा? क्या यह सहूलियत अब धीरे-धीरे जटिलता में बदल जाएगी?

इसका जवाब सीधा है — कंपनियां अब ग्राहकों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करेंगी। हर रिटर्न, हर रिफंड, हर कस्टमर प्रोफाइल को विश्लेषणात्मक टूल्स और AI की मदद से जांचा जाएगा।

वित्तीय आंकड़े और कंपनियों की स्थिति

अगर हम आंकड़ों पर गौर करें तो Flipkart ने वित्तीय वर्ष 2024 में ₹2358 करोड़ और Amazon ने ₹3469 करोड़ का घाटा दिखाया है। ऐसे में रिटर्न फ्रॉड जैसे मामलों ने इन कंपनियों की स्थिति और गंभीर बना दी है।

इसका सीधा असर निवेशकों के भरोसे, ब्रांड की साख और कंपनियों की लॉन्ग-टर्म ग्रोथ पर पड़ रहा है।

टेक्नोलॉजी से हल निकालने की कोशिश

अब ई-कॉमर्स कंपनियां टेक्नोलॉजी के सहारे समाधान निकाल रही हैं। वर्चुअल ट्राय-ऑन, AR/VR आधारित प्रोडक्ट डेमो, ट्रैकिंग आधारित रिटर्न एनालिसिस, और अकाउंट लेवल रिस्क प्रोफाइलिंग जैसी तकनीकों पर तेजी से काम हो रहा है।

Flipkart और Amazon जैसी कंपनियां अब Machine Learning के ज़रिए यह पहचानने की कोशिश कर रही हैं कि कौन ग्राहक फ्रॉड कर सकता है।

ईमानदार ग्राहक बनाम फ्रॉडस्टर: किसकी होगी जीत?

यह जंग अब दो पक्षों में बंटी है — एक तरफ वो ग्राहक जो सही वजह से सामान लौटाते हैं, और दूसरी ओर वो लोग जिन्होंने ऑनलाइन शॉपिंग को एक धंधा बना लिया है।

क्या ईमानदार ग्राहक इन सबके बीच सुरक्षित रह पाएंगे? जवाब है – हां, लेकिन सतर्क रहकर। कंपनियां तकनीक की मदद से अच्छे और बुरे ग्राहकों में फर्क करना सीख रही हैं।

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सावधानी ही सुरक्षा है

अब जब भी आप ऑनलाइन कुछ खरीदें, ध्यान रखें कि कंपनियां अब हर मूवमेंट पर नजर रख रही हैं। बार-बार सामान वापस करना या गलत दावे करना अब उतना आसान नहीं रह गया है।

ऑनलाइन शॉपिंग की दुनिया भरोसे पर टिकी है — उस भरोसे को बनाकर रखना हम सभी की ज़िम्मेदारी है।

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