फ्रांस ने खोजा दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक हाइड्रोजन भंडार। जानिए वाइट हाइड्रोजन क्या है, इसके फायदे, चुनौतियां, भारत में संभावनाएं और वैश्विक ऊर्जा भविष्य में इसकी भूमिका
हाल ही में फ्रांस ने ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक खोज करते हुए दुनिया के सबसे बड़े प्राकृतिक हाइड्रोजन भंडार का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस भंडार में कुल 46 मिलियन टन प्राकृतिक हाइड्रोजन है, जिसकी मौजूदा बाजार कीमत लगभग 92 ट्रिलियन डॉलर आँकी गई है। इस खोज को “ऊर्जा क्षेत्र का छिपा हुआ खजाना” कहा जा रहा है, जो न केवल पर्यावरण संकट को कम करने में मदद करेगा, बल्कि ऊर्जा क्रांति की नींव रखेगा।
क्या होता है प्राकृतिक हाइड्रोजन भंडार (White Hydrogen)?
प्राकृतिक हाइड्रोजन एक ऐसी गैस है जो स्वाभाविक रूप से पृथ्वी के भूगर्भ में उत्पन्न होती है। यह किसी मानव-निर्मित प्रयोगशाला में तैयार नहीं की जाती, बल्कि यह प्राकृतिक भूगर्भीय प्रक्रियाओं के माध्यम से स्वतः बनती है। इसे वाइट हाइड्रोजन या जियोलॉजिकल हाइड्रोजन भी कहा जाता है।
प्राकृतिक हाइड्रोजन मुख्यतः तीन भूगर्भीय प्रक्रियाओं से बनता है:
- Serpentinization (सरपेंटिनाइजेशन):
जब आयरन-समृद्ध चट्टानें भूमिगत जल के संपर्क में आती हैं, तब रासायनिक प्रतिक्रिया के कारण हाइड्रोजन उत्पन्न होती है। - Radiolysis (रेडियोलिसिस):
रेडियोधर्मी तत्वों के साथ जल के संपर्क में आने से यह प्रक्रिया होती है। - Deep Mantle Degassing (डीप मेंटल डिगैसिंग):
पृथ्वी की मेंटल परत से गहरे कार्बनिक गैसों का उत्सर्जन।
विश्व में प्राकृतिक हाइड्रोजन के भंडार
अब तक प्राकृतिक हाइड्रोजन को उतनी प्राथमिकता नहीं दी गई थी जितनी अन्य ऊर्जा स्रोतों को दी गई। लेकिन हालिया खोजों के बाद यह क्षेत्र वैश्विक स्तर पर चर्चा में आ गया है। वर्तमान में जिन देशों में प्राकृतिक हाइड्रोजन के भंडार पाए गए हैं, वे हैं:
- फ्रांस
- ऑस्ट्रेलिया
- अमेरिका
- कनाडा
- दक्षिण कोरिया
- स्पेन
भारत में कितनी संभावना है?
भारत में लगभग 3,475 मिलियन टन प्राकृतिक हाइड्रोजन होने का अनुमान है। Geological Survey of India (GSI) ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में संभावित भंडार की पुष्टि की है। साथ ही, भारत के अन्य प्रमुख भूगर्भीय बेल्ट्स भी संभावनाओं से भरपूर हैं भारत में लगभग 3,475 मिलियन टन प्राकृतिक हाइड्रोजन होने का अनुमान है। Geological Survey of India (GSI) ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में संभावित भंडार की पुष्टि की है। साथ ही, भारत के अन्य प्रमुख भूगर्भीय बेल्ट्स भी संभावनाओं से भरपूर हैं Sources: CNRS (French National Centre for Scientific Research)
CNRS (French National Centre for Scientific Research)
- गोंडवाना बेल्ट (छत्तीसगढ़)
- धारवाड़ बेल्ट
- विंध्याचल बेल्ट
- कोस्टल इंडिया बेल्ट

हाइड्रोजन के प्रकार: वाइट, ग्रीन, ब्लू, ग्रे और ब्लैक
रंग | स्त्रोत | पर्यावरणीय प्रभाव |
---|---|---|
White | प्राकृतिक | शून्य उत्सर्जन |
Green | पानी + रिन्यूएबल एनर्जी | लगभग शून्य |
Blue | ग्रे हाइड्रोजन + कार्बन कैप्चर | कम |
Black | कोयला गैसिफिकेशन | बहुत अधिक |
Grey | मीथेन गैस | अधिक |
क्यों है White Hydrogen सबसे बेहतर?
- यह लैब में नहीं बनाई जाती – प्राकृतिक है
- इसमें कार्बन उत्सर्जन नहीं होता
- एनर्जी इंटेंसिव प्रोसेस की ज़रूरत नहीं होती
- क्लीन एनर्जी के रूप में सीधे इस्तेमाल हो सकती है
प्राकृतिक हाइड्रोजन के फायदे
- Low Carbon Footprint:
इसके उपयोग से लगभग शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है। - Low Production Cost:
वाइट हाइड्रोजन को निकालने की लागत, ग्रीन हाइड्रोजन की तुलना में बहुत कम है। - High Energy Density:
1 किलोग्राम हाइड्रोजन लगभग 33.6 किलोवाट घंटे ऊर्जा देता है। - Abundance & Availability:
यह भूगर्भ में बड़ी मात्रा में मौजूद है और इसकी उपलब्धता स्थायी ऊर्जा समाधान का रास्ता खोलती है। - Energy Security:
यह आयात पर निर्भरता कम कर भारत जैसे देशों को आत्मनिर्भर बना सकती है।
किन क्षेत्रों में हो सकता है उपयोग?
- Aviation (विमानन)
- Shipping (जहाज परिवहन)
- Steel Manufacturing (इस्पात उद्योग)
- Transportation (वाहन ईंधन)
- Electricity Generation (बिजली उत्पादन)
प्राकृतिक हाइड्रोजन से जुड़ी चुनौतियाँ
चुनौती | विवरण |
---|---|
खनन तकनीक | भूगर्भीय ड्रिलिंग के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी की जरूरत |
भूगर्भीय ज्ञान | डिपॉजिट्स की सही स्थिति और गहराई की जानकारी सीमित |
लागत | प्रारंभिक निवेश अभी भी ऊँचा है |
इंफ्रास्ट्रक्चर | सप्लाई चेन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन में कमी |
नीति और निवेश | सरकारी और निजी क्षेत्र के सहयोग की आवश्यकता |
भारत में वाइट हाइड्रोजन: आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम
भारत एक विकासशील देश है जहां हर साल ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में भारत अपनी ज़रूरत का लगभग 85% तेल और 50% गैस विदेशों से आयात करता है। यह विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी दबाव डालता है। ऐसे में यदि भारत अपने भूगर्भीय संसाधनों से प्राकृतिक हाइड्रोजन प्राप्त कर सके, तो यह “ऊर्जा आत्मनिर्भरता” की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल होगी।
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🔍 भारत सरकार की पहलें
भारत सरकार पहले ही नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत 2030 तक 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रख चुकी है। लेकिन प्राकृतिक हाइड्रोजन की खोज और उसके व्यावसायीकरण की दिशा में कुछ नए कदम उठाए जा रहे हैं:
- GSI द्वारा Exploratory Surveys:
Geological Survey of India ने देश के 8 राज्यों में संभावित वाइट हाइड्रोजन स्थलों की पहचान की है। - Hydrogen Valley Mission:
कुछ औद्योगिक क्लस्टर्स जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए हैं, जो हाइड्रोजन-आधारित इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम तैयार करेंगे। - ISRO का समर्थन:
ISRO ने रॉकेट फ्यूल के लिए हाइड्रोजन का सफल प्रयोग किया है और अब वह प्राकृतिक हाइड्रोजन पर रिसर्च कर रहा है।

विज्ञान की नजर से: क्या वाइट हाइड्रोजन स्थायी है?
वाइट हाइड्रोजन एक “सस्टेनेबल और रेगुलेटेड सोर्स” है, क्योंकि:
- यह प्राकृतिक रूप से बनने वाली प्रक्रिया है — कई स्थानों पर लगातार उत्पादन हो रहा है।
- कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह नवीकरणीय स्त्रोतों की तरह “रिक्रिएट” हो सकता है।
- इसे सतह तक लाने के लिए आधुनिक डायरेक्शनल ड्रिलिंग तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव पड़ता है।
- Life Cycle Analysis (LCA) में यह सबसे कम कार्बन फुटप्रिंट देने वाला ऊर्जा स्रोत माना गया है।
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वाइट हाइड्रोजन बनाम ग्रीन हाइड्रोजन: लागत की तुलना
पैरामीटर | ग्रीन हाइड्रोजन | वाइट हाइड्रोजन |
---|---|---|
उत्पादन लागत (प्रति किलोग्राम) | ₹300–₹400 | ₹50–₹100 (अनुमानित) |
स्रोत | इलेक्ट्रोलिसिस + रिन्यूएबल | प्राकृतिक |
एनर्जी यूज़ | बहुत अधिक | न्यूनतम |
स्केलेबिलिटी | सीमित | अधिक, यदि डिपॉजिट्स मिले |
ध्यान देने योग्य बात:
हालांकि वाइट हाइड्रोजन की लागत कम है, लेकिन अभी तक इसका बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उपयोग सीमित है, क्योंकि यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है। जैसे-जैसे रिसर्च और ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी बेहतर होगी, इसकी संभावनाएं और बढ़ेंगी।
वैश्विक नीतियाँ: कौन-कौन देश बढ़ा रहा है कदम?
देश | पहल |
---|---|
फ्रांस | वाइट हाइड्रोजन के लिए €100 मिलियन का विशेष बजट |
ऑस्ट्रेलिया | पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में वाइट हाइड्रोजन खोज कार्यक्रम |
अमेरिका | हाइड्रोजन हब्स नीति के तहत अनुदान |
जापान | वाइट हाइड्रोजन आधारित ट्रांसपोर्ट प्रोटोटाइप पर कार्य |
स्पेन | EU हाइड्रोजन पॉलिसी के तहत 2030 तक उत्पादन लक्ष्य |
प्राकृतिक हाइड्रोजन (White Hydrogen) ऊर्जा क्षेत्र का भविष्य हो सकता है। इसका भंडार न केवल पर्यावरण के लिए वरदान है, बल्कि यह भारत जैसे विकासशील देशों के लिए ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यदि इसके खनन, वितरण और उपयोग के लिए सही नीति और निवेश अपनाया जाए, तो यह पूरी दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति प्रणाली को बदल सकता है। Natural Hydrogen
भारत के पास वैश्विक उदाहरणों से सीखने और अपनी नीति तैयार करने का एक सुनहरा अवसर है।
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FAQs
1. क्या प्राकृतिक हाइड्रोजन वाकई में कार्बन मुक्त है?
हाँ, यह पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से बनता है और इसके दहन से कार्बन डाइऑक्साइड नहीं निकलती।
2. क्या भारत प्राकृतिक हाइड्रोजन को व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल कर सकता है?
जी हाँ, अगर सही निवेश और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाए तो भारत इसमें अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
3. वाइट हाइड्रोजन और ग्रीन हाइड्रोजन में क्या अंतर है?
वाइट हाइड्रोजन प्राकृतिक स्रोत से मिलती है जबकि ग्रीन हाइड्रोजन नवीकरणीय ऊर्जा से तैयार की जाती है।
4. क्या यह पेट्रोल-डीजल का विकल्प बन सकती है?
बिल्कुल, विशेषकर ट्रांसपोर्टेशन, इंडस्ट्रियल उपयोग और ऊर्जा उत्पादन में यह एक स्थायी विकल्प बन सकता है।
5. भारत में कहां मिले हैं वाइट हाइड्रोजन के संकेत?
अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, धारवाड़, विंध्याचल और कोस्टल इंडिया के क्षेत्रों में संभावित भंडार मिले हैं।