डिजिटल अरेस्ट क्या है? जानें इसके पीछे की साइबर ठगी की सच्चाई 2024
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डिजिटल अरेस्ट: डिजिटल युग में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। इनमें से एक खतरनाक तरीका “डिजिटल अरेस्ट” है। यह नया शब्द भारतीय कानून की डिक्शनरी में नहीं है, लेकिन यह साइबर अपराधियों का एक प्रभावी हथकंडा बन चुका है। इस लेख में हम डिजिटल अरेस्ट के बारे में विस्तार से समझेंगे और इससे बचने के उपाय जानेंगे।
डिजिटल अरेस्ट क्या है? What is Digital Arrest
डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का साइबर फ्रॉड है, जिसमें अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई अधिकारी या सरकारी प्रतिनिधि बताकर पीड़ित को डरा-धमकाते हैं। वे नकली कानूनी कार्यवाही या गंभीर आरोपों का डर दिखाकर पीड़ित को मानसिक दबाव में डालते हैं और धन उगाहने की कोशिश करते हैं।
1. पहली घटना इंदौर की है जहां पर 65 वर्षीय महिला को उसी के घर में डरा-धमका कर 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा जाता है। एक व्यक्ति सीबीआई ऑफिसर बनकर इस महिला को इतना डरा देता है कि 5 दिन में ₹46 लाख उसके खाते में ट्रांसफर कर देती है।
30 सितंबर को आगरा की रहने वाली मालती शर्मा नाम की टीचर को 8 मिनट में 10 बार व्हाट्सएप कॉल आता है कि उनकी बेटी को पुलिस द्वारा अरेस्ट कर लिया गया है किसी गंभीर मुकदमे में। अगर 1 लाख रुपए जमा नहीं करती हैं तो बेटी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। और इस बात का इतना सदमा उनको पहुंचा कि उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई। व्हाट्सएप से कॉल करने वाले इस व्यक्ति ने पुलिस की ड्रेस पहनी हुई थी। उसने 4 घंटे तक मालती शर्मा को डिजिटल अरेस्ट करके रखा।
2. डिजिटल अरेस्ट की दूसरी सबसे बड़ी घटना देश में तब हुई, जब वर्धमान ग्रुप के कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया और उनसे 7 करोड़ रुपए वसूल लिए गए। फोन पर साइबर ठग ने कहा कि उनके नाम पर सुप्रीम कोर्ट का अरेस्ट वारंट है और साथ ही उनकी प्रॉपर्टी को सील करने का भी ऑर्डर मिला है। इसी लेकर ठग ने कुछ फेक डॉक्यूमेंट भी उनके पास भेजे।
साइबर ठगों ने एसपी ओसवाल को दो दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा और ₹7 करोड़ का चूना लगा दिया। इसी तरह से देश के अलग-अलग हिस्सों में आजकल समाचार पत्रों के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट के नए-नए केस सामने आ रहे हैं। बहुत सारे लोगों को अलग-अलग तरह से साइबर फ्रॉड और ठगी कर लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है।
डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो हमारे कानून की डिक्शनरी में नहीं है, लेकिन फिर भी डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से पिछले एक-दो महीनों में लाखों-करोड़ों रुपए की ठगी की जा चुकी है। कई मामलों में तो लोगों ने अपनी जान तक गंवा दी है। आज के इस वीडियो में हम जानने वाले हैं कि क्या होता है यह डिजिटल अरेस्ट और इससे बचने के तरीके। चलिए बिना देर किए शुरू करते हैं।
आज के समय में बहुत प्रकार के फ्रॉड हो रहे हैं। इंटरनेट के ज़माने में फ्रॉड डिजिटल तरीकों से हो रहे हैं, जिन्हें हम साइबर फ्रॉड या साइबर क्राइम कहते हैं। पहले फ्रॉड लिंक या ओटीपी मांग कर होते थे, लेकिन अब एक नई पद्धति चलन में आ गई है, जिसे डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है। इसमें साइबर अपराधी आपको इतना डराते हैं कि लोग तुरंत पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। कभी-कभी तो मानसिक तनाव के चलते लोग जान तक गंवा देते हैं।
डिजिटल अरेस्ट में अपराधी फर्जी पुलिसकर्मी या सीबीआई अधिकारी बनकर फोन करते हैं। कॉल ज़्यादातर व्हाट्सएप या अंतरराष्ट्रीय नंबर से होती है। वे आपको डराते हैं और कहते हैं कि आप फोन नहीं काट सकते। साथ ही, वे किसी गंभीर अपराध का हवाला देते हैं, जैसे:
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डिजिटल अरेस्ट के आम तरीके
1. नकली पुलिस या सीबीआई अधिकारी बनकर कॉल करना
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- अपराधी व्हाट्सएप या विदेशी नंबरों से कॉल करते हैं।
- दावा करते हैं कि पीड़ित के नाम पर गिरफ्तारी वारंट है।
- फर्जी दस्तावेज और ऑडियो-वीडियो भेजकर बात को विश्वसनीय बनाने की कोशिश करते हैं।
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2.परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का डर दिखाना
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- किसी करीबी के गिरफ्तार होने या किडनैपिंग की झूठी कहानी बताते हैं।
- कहते हैं कि मामला सुलझाने के लिए तुरंत पैसे जमा करें।
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3. बैंक खातों या संपत्ति की जांच का बहाना
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- खाते में “गलत ट्रांजेक्शन” का आरोप लगाते हैं।
- कस्टम डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स की फर्जी बातें बताकर डराते हैं।
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4. कुरियर या स्मगलिंग का झूठा मामला
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- कहते हैं कि आपके नाम पर कुरियर में अवैध सामान मिला है।
- इसके लिए कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए धन मांगते हैं।
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जब कोई व्यक्ति को इस तरह से डराया जाता है, तो वह तनाव में आकर ठगों की बातों में फंस जाता है। इस तरह का साइबर फ्रॉड किसी को भी मानसिक रूप से आहत कर सकता है।
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डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय
1. अजनबी कॉल और नंबर पहचानें: अंतरराष्ट्रीय नंबर (+91 के अलावा) से कॉल हो तो सतर्क रहें।
2. व्हाट्सएप कॉल को ब्लॉक करें: किसी अजनबी व्हाट्सएप कॉल या मैसेज का जवाब न दें।
3. तुरंत पुलिस स्टेशन संपर्क करें: अगर कोई कानूनी धमकी मिलती है, तो पुलिस को सूचित करें।
4. बैंक जानकारी गुप्त रखें: कोई अधिकारी आपसे बैंक की जानकारी नहीं मांगेगा।
5. फर्जी दस्तावेज पर ध्यान दें: किसी भी कॉल पर अपनी निजी जानकारी साझा न करें।
6. फेक इंफॉर्मेशन का इस्तेमाल करें: कॉलर से गलत जानकारी पूछें, जैसे ऑर्डर नंबर।
7. सोशल मीडिया पर सतर्कता: अपनी निजी जानकारी साइबर अपराधियों से बचाने के लिए सोच-समझकर साझा करें।
- डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक उभरता हुआ तरीका है। इससे बचने के लिए सतर्कता और जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। गृह मंत्रालय ने भी साइबर क्राइम को रोकने के लिए एडवाइजरी जारी की है। अगर आप ऐसी किसी कॉल या मैसेज का सामना करें, तो तुरंत कार्रवाई करें।
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